4 Qul in Hindi

4 Qul in Hindi की हमारी इस पोस्ट में हम 4 कुल सुरह के बारे में जानेंगे। 4 क़ुल ऐसे 4 जवाहरात है जो क़ुरान के इल्म के समंदर की गहराई में पाये जाते हैं। 4 क़ुल के मुख़्तसर होने के बावजूद , ईमानवालों के दिल और दिमाग़ में शानदार चमक के साथ चमकते हैं। सूरह काफिरुन (सूरह 109) सूरह इखलास (सूरह 112) सूरह फलक (सूरह 113) और सूरह नास (सूरह 114) इन 4 सूरतो को 4 क़ुल कहा जाता है।

हालांकि इन सूरह की लंबाई कम हो सकती है, लेकिन इनकी दीनी अहमियत बेशुमार है। हालांकि ये 4 Qul in Hindi अपने मवाद में मख़सूस है, लेकिन ये चारो आपस में एक मुश्तरका पहलू रखते हैं। ये 4 क़ुल एक ढाल की तरह काम करते हैं, ईमान के मुहाफ़िज़ हैं और शक और शुबा के अँधेरों में रोशनी की किरन है। इनकी आयतों में हमें सुकून, कुव्वत और अटल तौहीद देखने को मिलती है।

Agar ap 4 Qul in Hindi ke alawa 4 Qul ko Roman English me padhna chahte hai to yaha click kare

Apart from reading 4 Qul in Hindi, If you want to read 4 Qul in english transliteration and translation with benefits of reciting the 4 Qul, Please click here.

चलिए पहले ४ Qul in Hindi में चारो कुल के मायने और फ़ज़ीलत जानने से पहले, इन ४ कुल का एक मुख़्तसर ता’अरुफ़ कर लेते है।

सूरह काफिरुन

ये हमें अटल ईमान और बातिल का रद करना सिखाती है, और सिखाती है के पुख्ता ईमान कुफ्र के सामने कभी नहीं झुकता।

सूरह इखलास

अपनी मुख़्तसर आयत में ये सूरह अल्लाह की वहदानियत को समेटती है। ये हमें अल्लाह की इलाह होने और उसकी वहदानियत की तस्दीक करने की दावत देती है।

सूरह फलक

ये एक ताक़तवर दुआ है जो हर उस चीज़ जिसे अल्लाह ने बनाया है, उसके शर से अल्लाह की पनाह हासिल करवाती है। इन चीज़ों में उनका भी शुमार होता है जो अँधेरे में छुपी रहती है।

सूरह नास

ये सूरह भी एक दुआ है जिसमें अल्लाह ने हमें पनाह मांगना सिखाया है उस शैतान के शर से जो जिन्न और इंसानों में से है और इंसानों के दिलो में बुरे ख्याल डालता है।

4 क़ुल को जानने के इस 4 Qul in Hindi के सफर में हमारे साथी बने क्यूकी इसमे हम सुरतो के गहरे माने, रोज़मर्रा जिंदगी में इनकी अहमियत और इनसे मिलने वाली रूहानी हिफ़ाज़त के बारे में जानेंगे। ये 4 क़ुल, क़ुरान के सफ़ो पर मौजुद अल्फ़ाज़ भर नहीं है, जब आप 4 Qul in Hindi पर गौर करेंगे  ये रुहानी हिफ़ाज़त है, अल्लाह से नाज़दिकी के बाइस है, और ईमानवालों की रूह के लिए आसरा है।

अल्लाह से दुआ है के हमारा 4 क़ुल के म’आनी 4 Qul in Hindi में गौर करना हमारे लिए अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की लामेहदुद रहमत और हिफ़ाज़त का बाईस बने और सवाबे दारैन बने।

4 Qul In Hindi Transliteration
4 Qul In Hindi Transliteration

4 Qul in Hindi

सूरह काफिरुन

क़ुल या अय्युहल काफिरुन

ला आ’अबुदु मा ता’अबुदुन

वला अंतुम आबिदुना मा आ’अबुद

वला अना आबिदुम मा अबदतुम

वला अंतुम आबिदुना मा आ’अबुद

लकुम दीनुकुम वलिया दीन।

सूरह इखलास

क़ुल हुव अल्लाहु अहद

अल्लाहुस समद

लम यलिद वलम यूलद

वलम यकुन लहू

कुफुवन अहद.

सूरह फलक

क़ुल आउज़ु बिरब्बिल फ़लक़

मिन शररी मा खलक

व मिन शररी ग़ासिकिन इधा वकब

व मिन शर्रिन नफ़्फ़ासाती फ़िल ऊक़द

व मिन शररी हासिदिन इधा हसद.

सूरह नास

क़ुल आउज़ु बिरब्बिन नास

मलिकिन नास

इलाहिन नास

मिन शर्रील वसवासिल खन्नास

अल्लधि युवस्विसु फी सुदूरिन नास

मिनल जिन्नती वन नास।

4 Qul in Hindi तर्जुमा

4 Qul in Hindi Translation
4 Qul in Hindi TRANSLATION

निचे आपके लये ४ Qul in Hindi तर्जुमा दिया गया है, बेहद ध्यान से पढ़े, अगर आपको कोई चीज़ समझ नहीं आ रही तो इस पूरी पोस्ट को दो तीन मर्तबा पढ़े, इन शा अल्लाह आपको ज़रूर समझ में आ जाएगी।

सूरह काफिरुन

केह दो: ऐ काफिरो

मैं उनको नहीं पूजता, जिन्हे तुम पूजते हो

और ना तुम उसे पूजते हो, जिसे मैं पूजता हूं

और ना मैं पुजूंगा, जिसे तुम पूजते हो

और ना तुम उसे पूजोगे, जिसे मैं पूजता हूं

तुम्हारे लिये तुम्हारा दीन और मेरे लिये मेरा दीन है

सूरह इखलास

कह दो: अल्लाह अकेला है

अल्लाह सब से बेनियाज़ है

ना उसकी कोई औलाद है और ना वो किसी की औलाद है

और ना उसके बराबर कोई है

सूरह फलक

कहो मैं पनाह मांगता हूं सुबह के रब की

उसकी तमाम मख़लूक़ात के शर से

और रात की तारीक़ी के शर से जब वो छा जाए

और गिरहो में फूंक मारने वालो (या वालियो) के शर से

और हासीद के शर से जब वो हसद करे

सूरह नास

कहो मैं पनाह मांगता हूं तमाम इंसानों के रब की

तमाम इंसानों के बादशाह की

इंसानो के हक़ीक़ी माबूद की

वसवसे डालने वाले के शर से जो बारबार लौट कर आता है

जो लोगो के दिलो में वसवसे डालता है

चाहे वो जिन्नो में से हो या इंसानो में से

4 Qul in arabic

4 Qul Surah in Arabic
4 Qul Surah in Arabic

سُوْرَۃُ الْکٰفِرُوْنَ

قُلْ يَـٰٓأَيُّهَا ٱلْكَـٰفِرُونَ 

لَآ أَعْبُدُ مَا تَعْبُدُونَ

وَلَآ أَنتُمْ عَـٰبِدُونَ مَآ أَعْبُدُ

وَلَآ أَنَا۠ عَابِدٌۭ مَّا عَبَدتُّمْ

وَلَآ أَنتُمْ عَـٰبِدُونَ مَآ أَعْبُدُ

لَكُمْ دِينُكُمْ وَلِىَ دِينِ

سُوْرَۃُ الْاِخْلاَصِ

قُلْ هُوَ ٱللَّهُ أَحَدٌ

ٱللَّهُ ٱلصَّمَدُ

لَمْ يَلِدْ وَلَمْ يُولَدْ

وَلَمْ يَكُن لَّهُۥ كُفُوًا أَحَدٌۢ

سُوْرَۃُ الْفَلَقِ

قُلْ أَعُوذُ بِرَبِّ ٱلْفَلَقِ

مِن شَرِّ مَا خَلَقَ

وَمِن شَرِّ غَاسِقٍ إِذَا وَقَبَ

وَمِن شَرِّ ٱلنَّفَّـٰثَـٰتِ فِى ٱلْعُقَدِ

وَمِن شَرِّ حَاسِدٍ إِذَا حَسَدَ

سُوْرَۃُ النَّاسِ

قُلْ أَعُوذُ بِرَبِّ ٱلنَّاسِ

مَلِكِ ٱلنَّاسِ إِلَـٰهِ ٱلنَّاسِ

مِن شَرِّ ٱلْوَسْوَاسِ ٱلْخَنَّاسِ

ٱلَّذِى يُوَسْوِسُ فِى صُدُورِ ٱلنَّاسِ

مِنَ ٱلْجِنَّةِ وَٱلنَّاسِ

4 Qul in Hindi के बारे में हदीस

जब भी हम 4 Qul in Hindi की तिलावत करने के फ़ायदो की बात करते हैं तो हमें दो अल्फ़ाज़ो के बारे में इल्म होना ज़रूरी है, वो है अल मुअव्विधतैन और अल मुअव्विधात।

अल मुअव्विधतैन क्या है?

क़ुरान की आख़री दो सूरह, सूरह फलक और सूरह नास, इन्हे अल मुअव्विधतैन कहा जाता है। आगे आनेवाली सही बुखारी और सही मुस्लिम की अहादीस में 4 Qul in Hindi के बारे में मज़ीद इल्म हासिल होगा, तो पढ़ना जारी रखें।

उकबा बी. ‘आमीर रिवायत करते हैं के रसूल अल्लाह (ﷺ) ने मुझ से फरमाया:”मुझ पर दो आयतें ऐसी नाज़िल हुई हैं के उनके जैसी इससे पहले कभी नाज़िल नहीं हुई। वो अल मुअव्विधतैन है।”

Sahih Muslim Hadith Number 1892

अल मुअव्विधात क्या है?

कुरान ए करीम की आखिरी तीन सूरह, सूरह इखलास, सूरह फलक और सूरह नास को अल मुअव्विधात कहा जाता है जिसके मानी है हिफाज़त करने वाली तीन सूरह। 4 Qul in Hindi में इनके बारे में भी मज़ीद इल्म हासिल करेंगे 

अल मुअव्विधतैन की तिलावत करने के फ़ायदे

उकबा बी. ‘आमीर रिवायत करते हैं:’

अल्लाह के रसूल (ﷺ) ने मुझसे इरशाद फरमाया:”मुझ पर ऐसी आयतें नाज़िल हुई हैं के उनके जैसी आयतें कभी नहीं देखीं।वो अल मुअव्विधतैन है।

Sahih Muslim Hadith Number 1892

‘उकबा बी. ‘आमीर रिवायत करते हैं के अल्लाह के रसूल (ﷺ) ने इरशाद फरमाया:

क्या ही बेहतरीन आयते आज नाज़िल हुई है। उनके जैसी तो कभी नहीं देखी। वो ये है:”कहो: मैं पनाह में आता हूँ सुबह के रब की,” और “कहो: मैं पनाह में आता हूँ तमाम इंसानो के रब की ।”

Sahih Muslim 814a

अम्मी आयशा रिवायत करती हैं:

जब भी अल्लाह के रसूल (ﷺ) बीमार होते, वो मुअव्विधतैन (सूरह फलक और सूरह  नास) की तिलावत फरमाते, और अपने जिस्म पर फूंकते। जब वो बेहद बीमार हो गए, तो मैं तिलावत करती थी (इन दोनों सुरह की) और उनके हाथों की बरकत की उम्मीद के साथ उनके हाथों को उनके जिस्म पर फेरती थी।

Sahih Al Bukhari 5016

आयशा रिवायत करती है के जब कभी भी अहले बैत में कोई बीमार होता तो अल्लाह के रसूल (ﷺ) मुअव्विधतैन की तिलावत कर के उन पर फूंकते, और जब वो बीमार हुए के जिसमें उनका इंतेकाल हुआ, मैं उन पर फूंकती थी, और उनके हाथों में मेरे हाथों से ज़्यादा शिफा होने की वजह से मैं उनके हाथों को उनके जिस्म पर फेरा करती थी।

Sahih Muslim hadith 5714.

उक़बा इब्न आमीर रिवायत करते हैं:

एक सफर के दौरान मैं अल्लाह के रसूल (ﷺ) की ऊंटनी कि महार पकड़ कर चल रहा था। उन्होंने मुझ से फरमाया उकबा, क्या मैं तुम्हें पढ़ी जानेवाली सूरतो में सब से बेहतर सूरत बताउ? फिर उन्होंने सिखाया: “कहो, मैं सुबह के रब की पनाह में आता हूं,” और “मैं इंसानों के रब की पनाह में आता हूं।” उन्होंने देखा के मुझे ज़्यादा खुशी नहीं हुई।

जब वो नमाज़ पढ़ाने के लिए उतरे, उन्होंने लोगों को फज्र की नमाज़ पढ़ाई और उन में उन सूरतो को तिलावत फरमाया। जब अल्लाह के रसूल (ﷺ) ने अपनी नमाज़ ख़त्म की, तो मेरी तरफ मुड़े और कहा: ए उक़बा, तुमने इन दो सूरतों को कैसा पाया।

Sunan Abi Dawud 1462

उक़बाह इब्न आमीर रिवायत करते हैं:

अल्लाह के रसूल (ﷺ) ने मुझे मुअव्विधतैन (कुरान की आखिरी दो सूरा) हर नमाज के बाद तिलावत करने का हुक्म दिया।

Sunan Abi Dawud 1523

रिवायत है के उक़बा बिन आमीर ने कहा:

“जब अल्लाह के रसूल (ﷺ) सवारी कर रहे थे तब मैं उनके पीछे गया और मैंने अपना हाथ उनके पैर पर रखा और कहा: अल्लाह के रसूल (ﷺ), मुझे सूरह हूद और सूरह यूसुफ़ सिखाएँ

उन्होंने फरमाया: ‘तुम अल्लाह के यहां तिलावत करने के लिए: “कहो: मैं पनाह में आता हूँ सुबह के रब की (सूरह फलक)।” और “कहो: मैं पनाह में आता हू इंसानों के रब की (सूरह नास), इन दो सूरह से बड़ी कोई सूरह नहीं पाओगे।'”

Sunan an-Nasa’i 953

अल मुअव्विधात की तिलावत करने के फ़ायदे

हज़रत आयशा रिवायत करती हैं:

हर रात, जब कभी भी अल्लाह के रसूल (ﷺ) अपने बिस्तर पर जाते, वो अपने हाथों को एक साथ जोड़ते और सूरह इखलास, सूरह फलक और सूरह नास तिलावत करने के बाद उन पर फूंकते, और फिर वो अपने हाथों को अपने सर, चेहरे और अपने जिस्म के सामने के हिस्से से शुरू कर के अपने बदन पर फेरते जहां तक ​​उनके हाथ पहुँचते, वो इस तरह तीन मरतबा करते .

Sahih al-Bukhari 5017

अब्दुल्ला इब्न खुबैब रिवायत करते हैं:

हम एक बेहद काली बारिश वाली रात में अल्लाह के नबी (ﷺ) को ढूंढ़ने निकले के वो हमें नमाज़ पढ़ाएं, और जब हमने उन्हें पाया,

उन्होंने हमसे पूछा: क्या तुमने इबादत की?,

लेकिन मैंने कोई जवाब ना दिया।

तो उन्होंने कहा: कहो, पर मैंने कोई जवाब न दिया।

उन्होंने फिर से कहा: कहो, पर मैंने कोई जवाब न दिया।

उन्होंने फिर कहाः कहो।

तो मैने कहा: मैं क्या कहू?

उन्होंने कहा: कहो: कहो, वो अल्लाह है, अहद, और अल मुअव्विधतैन तीन मरतबा सुबह में और शाम में, वो तुम्हारी हर मामले में किफायत करेंगी।

Abu Dawud: Hadith Number 5082.

सूरह इखलास को अल मुअव्विधात में क्यों शामिल किया गया?

Surah Az Zukhruf Ayah 36

وَمَن يَعْشُ عَن ذِكْرِ ٱلرَّحْمَـٰنِ نُقَيِّضْ لَهُۥ شَيْطَـٰنًۭا فَهُوَ لَهُۥ قَرِينٌۭ ٣٦

तरजुमा

और जो कोई भी बेइंतेहा रहमत वाले के ज़िक्र से ग़ाफ़िल हो जाता है, हम उस पर एक शैतान मुसल्लत कर देते हैं और वो उसका साथी बन जाता है।

ऊपर दी हुई आयत की रोशनी में हम ये कह सकते हैं कि जब तक कोई अल्लाह के ज़िक्र में मशगूल है, अल्लाह उसकी शैतान से हिफ़ाज़त करता है और जैसे ही वो अपने आप को अल्लाह के ज़िक्र से अलग करता है, ये हिफ़ाज़त उठा ली जाती है. और शैतान उस पर हमला कर देता है।

हदीस

अल्लाह के रसूल (ﷺ) का इरशाद है, शैतान इब्ने आदम के दिल से चिमटा हुआ है, जब भी वो अल्लाह का जिक्र करता है, शैतान उससे दूर हो जाता है, जिस घड़ी वो अल्लाह का जिक्र करना बंद करता है, शैतान फिर से उसके दिल से चिमट जाता है। 

Mishkat Al Masbih 2281

अल- हारिथ अल-अशअरी रिवायत करते हैं:

फ़रमाया अल्लाह के रसूल (ﷺ) ने: “बेशक अल्लाह ने याहया बिन ज़करिया को हुक्म दिया के वो 5 हुक्म की पाबंदी करे और बनी इसराईल को भी उनकी पाबंदी करने का हुक्म दे। फिर याहया عَلَيْهِ ٱلسَّلَامُ उन 5 हुक्म को बयान करते हैं. आखिरी हुक्म को बयान करते हुए वो फरमाते हैं: अल्लाह तुम्हें हुक्म देता है के तुम उसे याद करो। बेशक उसकी मिसाल ऐसी है, के जैसे एक शख़्स का दुश्मन उसके पीछे पड़ा हो और जल्दी ही उसे ढूंढ लेने वाला हो और वो उससे बचने के लिए एक महफ़ूज़ क़िले में पनाह ले ले। बंदे की मिसाल भी ऐसी ही है; वो शैतान से अपनी हिफ़ाज़त नहीं कर सकता सिवाय इसके कि वो अल्लाह का ज़िक्र करे।”

Jami` at-Tirmidhi 2863

तो ऊपर दी गई हदीस की रोशनी में, हम ये कह सकते हैं कि अल्लाह का ज़िक्र एक महफ़ूज़ क़िले की तरह है जो शैतान के हमलो से हमारी हिफ़ाज़त करता है।

जब हम अल्लाह के ज़िक्र की बात करते हैं, तो हमें पता होना चाहिए कि सूरह इखलास अल्लाह का बेहतरीन ज़िक्र है, क्यू के ये खालिस तौहीद बयान करता है। इसलिए इसे अल मुअव्विधात यानी पनाह देनेवाली तीन सूरह में शामिल किया गया है।

सूरह इखलास की तिलावत करने के फ़ायदे

4 Qul in hindi जब आप पढ़ने लगे है तो सूरह इखलास के फ़ज़ाइल के बारे में ज़रूर जानना चाहिए , इस छोटी सी सूरह के बेइंतेहा फ़ज़ाइल इसे बड़ी बड़ी सूरह से भी आगे लेकर आती है और ४ Qul in Hindi में इसकी तरफ हमारा ध्यान खींचती है

सूरह इखलास की तिलावत करना कुरान के तीसरे हिस्से की तिलावत करने के बराबर है।

अबू दरदा रिवायत करते हैं के अल्लाह के रसूल (ﷺ) ने फरमाया:

क्या तुम में से कोई है जो कुरान का एक तिहाई (30%) हिस्सा एक रात में तिलावत कर सके?

सहाबा ने अर्ज़ किया: कोई एक रात में कुरान का तिहायी हिस्सा कैसे तिलावत कर सकता है?

इस पर नबी ए करीम (ﷺ) ने फरमाया: ‘कहो: वो अल्लाह है, अहद’ (Qur’an) ये एक तिहाई कुरान तिलावत करने के बराबर है।’

Sahih Muslim 811a

हदीस

हज़रत आयशा रिवायत करती हैं:

रसूल अल्लाह (ﷺ) ने एक फ़ौजी टुकड़ी का अमीर ऐसे शख़्स को बना कर भेजा जो अपने असहाब की इमामत करता तो अपनी क़िरत के आख़िर में (सूरह 112): ‘कहो: “वो अल्लाह है, अहद”‘ पढ़ता।

जब वो लौटे तो उसका ज़िक्र नबी ए करीम (ﷺ) से किया गया।

हुज़ूर (ﷺ) ने कहा, “उससे पूछो वो ऐसा क्यों करता है”

उन्हें पूछा, तो उन्होंने जवाब दिया, “मैं ऐसा करता हूं क्यू के ये (सूरह) रहमान की शान बयान करती हैं और मैं इससे मोहब्बत करता हूं।”

हुज़ूर (ﷺ) ने फरमाया, “उसे कह दो के अल्लाह भी उससे मोहब्बत करता है।”

Sahih al-Bukhari 7375

अनस (रदि.) रिवायत करते हैं:

एक शख़्स ने कहा: “या रसूल अल्लाह (ﷺ)! मैं सूरह इखलास से मोहब्बत करता हूं (सूरह 112): ‘कहो: “वो अल्लाह है, अहद”

आप (ﷺ) ने फरमाया, “इससे तुम्हारी मोहब्बत तुम्हें जन्नत में लेके जाएगी।”

Riyadh As Saliheen 1013

अबू हुरैरा रिवायत करते हैं:

“मैं अल्लाह के रसूल (ﷺ) के साथ गया और मैंने एक शख़्स को क़ुल हुव अल्लाहु अहद [अल्लाहुस-समद] पढ़ते सुना तो अल्लाह के रसूल (ﷺ) ने फरमाया: ‘वाजिब हो गई।’

मैंने पूछा: ‘क्या वाजिब हो गई या रसूल अल्लाह (ﷺ)?’

आप (ﷺ) ने फरमाया: ‘जन्नत।’

Jami` at-Tirmidhi 2897

‘अब्दुल्ला बिन बुरैदा रिवायत करते हैं के उनके अब्बा ने कहा:’

“नबी ए करीम (ﷺ) ने एक शख़्स को कहते हुए सुना: ‘अल्लाहुम्मा! इन्नी अस’अलुका बि-अन्नका अंतल्लाहुल-अहदुस-समद, अल्लधि लम यलिद व लम यूलद, व लम यकुन लहु कुफुवन अहद (या अल्लाह! तेरे अल्लाह होने की वजह से मैं तुझसे सवाल करता हूं, अकेला, बेनियाज़, ना जिसने किसी को पैदा किया, ना उसे किसीने पैदा किया, और उसका कोई सानी नहीं है)।’

अल्लाह के रसूल (ﷺ) ने फरमाया: ‘उसने अल्लाह के अज़ीमुश्शान नाम से सवाल किया है, के जिससे जब उससे माँगा जाए तो वो देता है, और अगर उसे पुकारा जाए तो वो सुनता है।”

Sunan Ibn Majah 3857

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ऊपर आपने जिस तरह देखा के हमने ४ Qul in Hindi के इस मौज़ू पर कई अहादीस को जमा किया और उसे आसान हिंदी में आपके सामने पेश किया, यही काम हम दीगर अहम् मौज़ूआत के साथ भी करना चाहते है, लेकिन उसके लये हमें आपका साथ चाहिए।

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