आयतुल कुर्सी – क़ुरान की आयतो के वसीअ समंदर में एक हीरा है जिसकी चमक का और उसकी रूहानी अहमियत का कोई सानी नहीं. ये एक अकेली आयत जो सूरह अल -बक़रह (सूरह 2, आयत 255) में पायी जाती है ,अल्लाह की हुकूमत और बेहिसाब ताक़त की जगमगाती हुई निशानी है.
आयतुल कुर्सी जुमलो का बस एक जमावड़ा नहीं है, ये उस आसमानी पुल के मानिंद है जो मख़लूक़ को ख़ालिक़ तक ले जाता है। इस्की तिलावत इस्लाम की जड़ और गेहरे मानी की तरफ ले जानेवाली है, बशर्ते इसे समझ कर पढ़ा जाए। यहाँ पर हम इस आयत की फ़ज़ीलत को बताने वाली हदीसों को जानेंगे। ये वो खजाना है जिसे पढ़ने से कई फायदे होते हैं।
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ईमान की हिफ़ाज़त
आयतुल कुर्सी को मोमिन का क़िला कहा जाता है। इसकी तिलावत हमारे ईमान को कुव्वत देती है और शक और शुबाह के मौके पर एक ढाल की तरह काम करती है। इसके अलीशान अल्फ़ाज़ो में हमें सुकुन और भरोसा मिलता है के अल्लाह जो हमेशा जिंदा रहने वाला है, जो हमेशा से वजूद में है वो हमारी हिफ़ाज़त करने वाला है।
हिफ़ाज़त और बरकत
हुज़ूर अकदस (ﷺ) की हदीस हमें ये बताती है कि आयतुल कुर्सी की तिलावत अल्लाह की तरफ़ से हिफ़ाज़त का बाईस बनती है। हदीस में आता है के इसका पढ़ना हमारे लिए एक हिफाज़त करने वाले को खड़ा करता है जो हर शैतानी ताकत से और बदनसीबी से हमारी हिफाजत करता है। जैसे जैसे हम अहादीस की छानबीन करते हैं तो इस नुरानी मुहाफ़िज़ के गहरे असर के बारे में हमें पता चलता है
अल्लाह के साथ ताल्लुक़
इसके मुहाफ़िज़ असर के अलावा, आयतुल कुर्सी इलाही के साथ एक ताल्लुक़ कायम करती है। इसकी तिलावत अल्लाह की खुदमुख्तारी और हमारा उसके हुज़ूर ताबे होने का सबूत देती है। आयतो में हमें हमारे खालिक की तरफ नज़दिकी हासिल करने की दावत मिलती है।
ईमान को लंगर बांधना
आयतुल कुर्सी मुश्किलात और शको शुबाह के वक्त में हमारे ईमान को लंगर की तरह संभालती है। ये हमें याद दिलाती है कि अल्लाह का इल्म हर चीज़ को घेरे हुए है, आयतुल कुरसी को जानने के लिए इस सफर की शुरुआत करने से पहले हमारे सीने को इसकी गहरी हिदायतो को कुबूल करने के लिए हमारे सीने को खोल लेते है। अहादीस के ज़रिये, इस नूरानी आयत के उस लिफ़ाफ़े को हम खोलेंगे जो हिदायत के लिहाफ़ की कई परतो से ढका हुआ है।
इस दीनी मालूमात के सफर में हमारे साथी बनें, जहां हम मोमिनो की जिंदगी में आयतुल कुर्सी की अहमियत को चमचमाने वाली हदीसो को जमा कर रहे हैं और SunnatAzkar.com को अपने दोस्त, अहबाब, रिश्तेदार और घरवालो के साथ ज़रूर शेयर करें।
आयतुल कुर्सी हदीस नंबर: 1
अब्दुल्लाह बिन मसउद से रिवायत है: “अल्लाह ने आसमानो में और ज़मीन में आयतुल कुर्सी जैसी कोई और शानदार चीज़ नहीं बनाई।”
सुफियान ने बयां किया:”क्यूं कि आयतुल कुर्सी अल्लाह का बयान है, और अल्लाह का बयान अल्लाह की आसमानो और ज़मीन की ख़लक़त से बेहतर है।”
Grade: Sahih (Darussalam)
Reference : Jami` at-Tirmidhi 2884
In-book reference : Book 45, Hadith 10
English translation : Vol. 5, Book 42, Hadith 2884
आयतुल कुर्सी हदीस नंबर: 2
अबू हुरैरा रिवायत करते हैं:” अल्लाह के रसूल (ﷺ) ने मुझे रमज़ान की ज़कात की हिफ़ाज़त पर मुकर्रर फरमाया। अचानक एक शख्स मेरे पास आया और ग़ल्ले में से मुट्ठिया भर-भर कर उठाने लगा। मैंने उसे पकड़ लिया और कहा के कसम अल्लाह की, मैं तुझे रसूल अल्लाह (ﷺ) की खिदमत में ले चलूंगा। उसने कहा के अल्लाह की कसम मैं बहुत मोहताज हूं, मेरे बाल बच्चे हैं और मैं सख्त ज़रूरतमंद हूं।”
हज़रत अबू हुरैरा रज़ि. ने कहा के मैंने उसे छोड़ दिया। सुबह हुई तो रसूल (ﷺ) ने मुझसे पूछा ऐ अबू हुरैरा, गुज़िश्ता रात तुम्हारे क़ैदी ने क्या किया था?
मैंने कहा या रसूल अल्लाह (ﷺ), उसने सख्त ज़रुरत और बाल बच्चों का रोना रोया, इसलिए मुझे उस पर रहम आ गया, और मैंने उसे छोड़ दिया।
इस पर हुज़ूरे अक़दस (ﷺ) ने फरमाया के वो तुमसे झूठ बोल कर गया है, और वो फिर आएगा।
रसूले करीम (ﷺ) के ये फरमाने के बाद मुझे पूरा यकीन था कि वो फिर आएगा, इसलिए मैं उसकी ताक में लगा रहा।और जब वो दूसरी रात आके फिर ग़ल्ला उठाने लगा, तो मैंने उसे फिर पकड़ा और कहा के तुझे रसूले करीम (ﷺ) की खिदमत में पेश करूंगा। लेकिन अब भी उसकी वही इल्तेजा थी के मुझे छोड़ दे, मैं मोहताज हूं। बाल बच्चों का बोझ मेरे सर पर है। अब मैं कभी ना आऊंगा. मुझे रहम आ गया और मैंने उसे फिर छोड़ दिया।
सुबह हुई तो रसूले करीम (ﷺ) ने फरमाया, ऐ अबू हुरैरा!, तुम्हारे क़ैदी ने क्या किया?
मैंने कहा, या रसूल अल्लाह (ﷺ), उसने फिर वही सख्त ज़रूरत और बाल बच्चों का रोना रोया, जिस पर मुझे रहम आ गया, इसलिए मैंने उसे छोड़ दिया।
इस पर नबी ए पाक (ﷺ) ने इस मरतबा भी यही फरमाया के वो तुमसे झूठ बोल कर गया है और वो फिर आएगा।
तीसरी मरतबा मैं फिर उसके इंतजार में थी कि उसने फिर तीसरी रात आकर ग़ल्ला उठाना शुरू किया, तो मैंने उसे पकड़ लिया, और कहा के तुझे रसूल अल्लाह (ﷺ) की खिदमत में पहोचाना अब ज़रूरी हो गया है। ये तीसरा मौका है. हर मरतबा तुम यकीन दिलाते रहे के फिर नहीं आओगे, लेकिन तुम बाज़ नहीं आये।
उसने कहा के इस मरतबा मुझे छोड़ दे तो मैं तुम्हें ऐसे चंद कलीमात सिखा दूंगा जिसे अल्लाह तआला तुम्हें फायदा पहुचाएगा।
मैंने पूछा वो कलीमत क्या है?
उसने कहा के जब तुम अपने बिस्तार पर लेटने लगो तो अयतुल कुर्सी, अल्लाहु ला इलाहा इल्ला हुवल हय्युल कय्यूम, पूरी पढ़ लिया करो। एक निगरान फ़रिश्ता अल्लाह तआला की तरफ से तुम्हारी हिफ़ाज़त करता रहेगा। और सुबह तक शैतान तुम्हारे पास कभी नहीं आ पाएगा।
इस मरतबा भी मैंने उसे फिर छोड़ दिया। सुबह हुई तो रसूले करीम (ﷺ) ने दरियाफ़्त फरमाया, गुज़िश्ता रात तुम्हारे क़ैदी ने तुमसे क्या मामला किया?
मैंने अर्ज़ किया के या रसूल अल्लाह (ﷺ), उसने मुझे चंद कलीमात सिखाए और यकीन दिलाया के अल्लाह तआला मुझे उससे फ़ायदा पहुंचाएगा । इसलीए मैने उसे छोड़ दिया.
आप (ﷺ) ने दरियाफ्त किया के वो कलिमात क्या है?
मैंने अर्ज़ किया के उसने कहा था कि जब बिस्तर पर लेटो तो आयतुल कुर्सी पढ़ लो, शुरू (अल्लाहु ला इलाहा इल्ला हुवाल हय्युल कय्यूम) से आख़िर तक।
उसने मुझसे ये भी कहा कि अल्लाह तआला की तरफ से तुम पर एक निगरान फरिश्ता मुकर्रर रहेगा। और सुबह तक शैतान तुम्हारे करीब भी नहीं आ सकेगा।
नबी ए करीम (ﷺ) ने फरमाया के अगरचे वो झूठा था, लेकिन तुम से ये बात सच कह गया है। ऐ अबू हुरैरा, तुम को ये भी मालूम है कि तीन रातों से तुम्हारा मामला किस्से था?
मैंने कहा नहीं.
हुज़ूरे अकदस (ﷺ) ने फरमाया के वो शैतान था।
Reference : Sahih al-Bukhari 2311
In-book reference : Book 40, Hadith 11
USC-MSA web (English) reference : Vol. 3, Book 38, Hadith 505
आयतुल कुर्सी हदीस नंबर: 3
अब्दुर-रहमान बिन अबी लैला रिवायत करते हैं के
अबू अय्यूब अल-अंसारी के पास एक गोदाम था जिसमें वो खजूरे जमा रखते थे। एक शैतान आती थी और उसमे से ले जाती थी, तो उन्होंने इस के बारे में हुज़ूर (ﷺ) से शिकायत की।
तो उन्हें फरमाया के जाओ और अब जब तुम उसे देखो तो कहना के अल्लाह के नाम से, अल्लाह के नबी (ﷺ) को जवाब दो।
उन्होन कहा के मैंने उसे पकड़ लिया और उसने कसम खाई कि वो वापस नहीं आएगी, तो मैंने उसे छोड़ दिया।
वो हुज़ूर (ﷺ) के पास गए तो उन्हें पूछा: “तुम्हारे क़ैदी ने क्या किया?”
उन्होंने कहा:”उसने कसम खाई है कि वो वापस नहीं आएगी।”
इस पर नबी ए पाक (ﷺ) ने फरमाया:”उसने झूठ बोला है और वो दोबारा झूठ बोलने के लिए आएगी।”
उन्होंने कहा: “मैंने उसे एक मरतबा और पकड़ लिया और उसने कसम खाई के मैं वापस नहीं आऊंगी, तो मैंने उसे छोड़ दिया, और हुज़ूर (ﷺ) के पास गया।”
हुज़ूर (ﷺ) ने दरियाफ़्त फ़रमाया:”तुम्हारे क़ैदी ने क्या किया?”
उन्होंने कहा:”उसने कसम खाई के वो वापस नहीं आएगी।”
तो हुज़ूर (ﷺ) ने फरमाया:”उसने झूठ बोला है और वो झूठ बोलने के लिए दोबारा आएगी.
तो उन्होंने उसे पकड़ लिया और कहा: “मैं तुझे उस वक्त तक जाने नहीं दूंगा जब तक तू मेरे साथ हुज़ूर (ﷺ) की खिदमत में पेश नहीं होती।”
उसने कहा: “मैं तुम्हें एक बात बताती हूं, अगर तुम अपने घर में आयत अल कुर्सी पढ़ोगे, तो ना कोई शैतान, और ना कोई और तुम्हारे पास आ सकेगा।”
तो वो हुज़ूर (ﷺ) के पास गए और अर्ज़ किया, हुज़ूर (ﷺ) ने दरियाफ़्त फरमाया: “तुम्हारे क़ैदी ने क्या किया?”
उन्होंने कहा के मैंने हुजूर (ﷺ) को बताया जो उसने कहा, तब हुजूर (ﷺ) ने फरमाया:’उसने सच कहा, और वो मुसलसल झूठ बोलने वाली है।”
Grade: Hasan (Darussalam)
Reference : Jami` at-Tirmidhi 2880
In-book reference : Book 45, Hadith 6
English translation : Vol. 5, Book 42, Hadith 2880
आयतुल कुर्सी हदीस नंबर: 4
अबू उमामा (रजि.) रिवायत करते हैं के फरमाया अल्लाह के नबी (ﷺ) ने:”जो भी हर फ़र्ज़ नमाज के बाद आयतुल कुर्सी पढ़ता है, तो मौत के अलावा कोई और चीज़ उसे जन्नत में जाने से नहीं रोक सकती।”
[नसाई ने इसे नक़ल किया, और इब्न हिब्बान ने इसे सही कहा।]
Book: Bulugh Al Maram
Sunnah.com reference : Book 2, Hadith 220
English translation : Book 2, Hadith 324
Arabic reference : Book 2, Hadith 326
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